दिल में हिंदुस्तान - डॉ सत्यवान 'सौरभ'

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फिल्म-खेल का ही चढ़ा, है सब पे उन्माद।

फौजी मरता देश पर, कौन करे अब याद।।

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आज़ादी अब रो रही, देश हुआ बेचैन।

देख शहीदों के भरे, दुःख से यारों नैन।।

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मैंने उनको भेंट की, दिवाली और ईद।

सीमा पर मर मिट गए, जितने वीर शहीद।।

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काम करो इंग्लैंड में, रहें भला जापान।

रखना सदा सहेजकर, दिल में हिंदुस्तान।।

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आज़ादी अब पूछती, सबसे यही सवाल।

याद किसे है देश में, भारत माँ के लाल।।

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देकर अपनी जान जो, दिला गए हैं ताज़।

उन वीरों के खून को, याद करे सब आज।।

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लाज तिरंगें की रहे, बस इतना अरमान।

मरते दम तक मैं रखूँ, दिल में हिन्दुस्तान।।

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आधा भूखा है मरे, आधा ले पकवान।

एक देश में देखिये, दो-दो हिन्दुस्तान।।

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सरहद पर जांबाज़ जब, जागे सारी रात।

सो पाते हम चैन से, रह अपनों के साथ।।

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हम भारत के वीर हैं, एक हमारा राग।

नफरत गैरत से हमें, जायज से अनुराग।।

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खा इसका, गाये उसे, ये कैसे इंसान।

रहते भारत में मगर, अंदर पाकिस्तान।।

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मैंने उनको भेंट की, दिवाली और ईद।

जान देश के नाम जो, करके हुए शहीद।।

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घोटालों के घाट पर, नेता करे किलोल।

लिए तिरंगा हाथ में, कुर्सी की जय बोल।।

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आओ मेरे साथियों, कर लें उनका ध्यान।

शान देश की जो बनें, देकर अपनी जान।।

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भारत के हर पूत को, मेरा प्रथम प्रणाम।

सरहद पे जो है मिटा, हाथ तिरंगा थाम।।

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सींच चमन ये साथियों, खिला गए जो फूल।

उन वीरों के खून को, मत जाना तुम भूल।।

-डॉ सत्यवान 'सौरभ', 333, परी वाटिका,

कौशल्या भवन, बड़वा (सिवानी) भिवानी, हरियाणा – 127045