हिंदी गजल - मधु शुक्ला
Nov 3, 2023, 23:39 IST
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न सूखा प्यार का सागर भरा है,
अभी तक जख्म इस दिल का हरा है।
उन्हें है प्रिय वफा पर वार करना,
न उनके इस सितम से जी डरा है।
कभी आभास हृद उनका करेगा,
गलत व्यवहार उन्होंने करा है।
हमें विश्वास है अपनी वफा पर,
समय अपना अभी रूठा जरा है।
न आभा को गँवाता 'मधु' कभी वह,
जगत में कर्म जिसका भी खरा है।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश