हरियाली - सुनील गुप्ता

है छायी चहुँओर हरियाली ही हरियाली
और आया मौसम मेह बारिश का !
खुशियों की खुल गयी अब पोटली....,
आओ करें धूमधड़ाका ख़ूब मस्ती का !!1!!
आओ चलें वन पर्वत जंगल
कर आएं सैर हरियाली की !
बरस रहा है जमकर आनंद मंगल......,
झूमें नाचें , मनाएं ख़ूब मौज़मस्ती !!2!!
गांव-गांव शहर नगर-नगर
बिछ आयी है सब ओर हरितिमा !
चहकने लगी हैं पगड़ण्डियाँ डगर....,
और मौसम छाया है चहुँओर खुशनुमा !!3!!
है उत्सव पर्व ये हरियाली का
आओ घर परिवार संग बैठ मनाएं !
बांटे आपस में प्रेम प्यार आनंद.....,
और मिलकर ख़ूब पकवान उड़ाएं !!4!!
आओ लगाएं वन उपवन कानन में
पेड़ पौधे वृक्ष लताएं वनस्पतियाँ !
कुछ बीज जाकर करें अवश्य रोपित.......,
देखो, खिल आएंगी यहां-वहां कलियाँ !! 5!!
है हरियाली का ये उत्सव अप्रतिम
जिसे देख तन मन जीवन सारा हर्षाए !
आओ मनाएं हरेक घर महोत्सव....,
और चहुँओर स्नेह प्रेम आनंद बरसाएं !!6!!
है जहां हरियाली, वहां ख़ुशहाली
और नाचे झूमें है प्रकृति झमाझम !
चली पहन वसुंधरा प्रिय धानी चुनरिया......,
और खिलखिलाया है आँगन कानन उपवन !!7!!
-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान