गुरुमहिमा - रेखा मित्तल
Vivratidarpan.com- जीवन में मिले सभी गुरुओं को प्रणाम जिनसे भी कुछ न कुछ शिक्षा ग्रहण की है।
गुरु शिष्य परम्परा भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है।एक गुरु ही शिष्य के जीवन में ज्ञान रूपी अमृत का सिंचन कर उसे ज्ञानवान, चरित्रवान व समर्थ बनाता है।
कहते हैं गुरु भगवान से भी बढ़कर होता है क्योंकि गुरु हमें सही रास्ते पर चलना सिखाते है ।
संत कबीर जी ने अपने दोहों में लिखा भी है:
"गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय ।
बलिहारी गुरु आपनो, जिन गोविंद दियो बताय ।।"
इस दोहे से तात्पर्य है कि गुरु और भगवान दोनों ही मेरे सम्मुख खड़े है, परन्तु गुरु ने ईश्वर को जानने का मार्ग दिखा दिया है।, इसलिए मैं अपने गुरु पर बलिहारी जाता हूं जिन्होंने गोविंद तक पहुंचने का रास्ता दिखाया है!!
गुरु हमें सही और गलत की पहचान करना सिखाते है। जीवन की कई समस्याओं का किस तरह से निवारण हम कर सकते हैं ,वह सभी तौर तरीके हमें गुरु ही सिखाते हैं। वास्तव में गुरु की महिमा अनंत है। प्राचीन काल से लेकर अब तक गुरु का महत्व समझा जाता है।
घर में बच्चे का प्रथम गुरु मांँ ही होती है । गुरु कोई भी हो सकता है जिससे हम कुछ शिक्षा लें, कुछ सीखें, जीवन को समझने का प्रयास करें, जो अंधेरे में उजाले की रोशनीं दिखाएंँ ,वही गुरु है ।
गुरु, विष्णु भी है क्योंकि वह शिष्य की रक्षा करता है गुरु, साक्षात महेश्वर भी है क्योंकि वह शिष्य के सभी दोषों का संहार भी करता है।
संत कबीर कहते हैं-
'हरि रूठे गुरु ठौर है,
गुरु रूठे नहिं ठौर॥'
"सतगुरु की महिमा अनंत ,अनंत किया उपगार।
लोचन अनंत उघाडिया, अनंत दिखावणहार ।।"
अर्थात सद्गुरु की महिमा अपरंपार है। सतगुरु ने ज्ञान की प्राप्ति को सम्भव बनाया और मुझ पर अनंत उपकार किये हैं। माया के कारण मेरी आँखें बंद पड़ी थी, सत्य मुझे दिखाई नहीं दे रहा था, सतगुरु ने मेरी आँखों को खोला और मुझे सत्य दिखाया, सत्य का दर्शन करवाने वाले ऐसे संत की महिमा अनंत और अपार है।
"गुरु कुम्हार शीश कुंभ है गढ़ गढ़ काढ़े खोट
अंदर हाथ से सहार दे बाहर मारे चोट"
गुरु उसे कुम्हार की तरह है जो एक मिट्टी का बर्तन बनाते हुए बाहर से थपथपाता है उसको रूप और आकार देने के लिए और अंदर से एक हाथ से उसको सहारा देकर रखता है ताकि उसका आकार ना बिगड़ जाए। इसी प्रकार गुरु एक शिशु के व्यक्तित्व निर्माण में गुरु का बहुत बड़ा हाथ होता है।
समाज और राष्ट्र में योगदान दे रहे सभी गुरुजनों को नमन करती हूँ।.
- रेखा मित्तल, चंडीगढ़