गुरु - डॉ० जसप्रीत कौर फ़लक

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गुरुदेव !

चेतना की धरातल में पड़ा

हुनर का बीज

आप के कुशल शुभ हाथों में

पनपा हुआ नन्हा सा पौधा

अब बन चुका है

एक छायादार वृक्ष ।

गुरुदेव !

आपके विचारों के मोती,

संस्कारों के जवाहर

आपके अनुभवों का सागर

और आपका ;

एक-एक शब्द

कठिन साधना से होकर

बना गया मुझे

एक साधक ।

गुरुदेव !

आप से  मिला

शिक्षा का ख़ज़ाना

ले जा रहा  मुझे

सम्पूर्णता की ओर,

आप का आशीर्वाद

कर रहा  मुझे तृप्त ।

गुरुदेव !

मुझे जो आपने दिया ज्ञान

वही बोध मेरी अन्धेरी राहों में

भर रहा है रौशनी,

नज़र आ रही है मुझे मंज़िल ।

गुरुदेव !

आप हमेशा रहेंगे

आख़िरी सांस तक

मेरी मधुर स्मृतियों में...

मेरी रूह सदा ऋणी रहेगी

आप के स्नेह के मौसमों की ।

गुरुदेव !

आपने मेरी ख़ामोशियों को आवाज़ बख़्शी

आपने मेरी हथेलियों पर

तक़दीर की हल्की सी लकीरों को उभारा

मुझे दिया सजीव शब्दों का सहारा ।

गुरुदेव !

मैं तो एक मद्धम सी ‘रिश्म' थी

आपने मिलाया मुझे

उम्मीद के सूरज से

गुरुदेव धन्य हैं आप ।

गुरुदेव!

आप यथार्थ हैं

आप सिद्धार्थ हैं

आप नि:स्वार्थ हैं

आपको नमन् !

- डॉ० जसप्रीत कौर फ़लक, लुधियाना , पंजाब