गुंजित हमारा गणतंत्र - हरी राम यादव
Jan 25, 2024, 22:56 IST
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तंत्र हमारे तन्मयता से सुनें,
गण के मन की आवाज।
तभी हमारा गणतंत्र रहेगा,
दीर्घ काल तक जिंदाबाद।
दीर्घ काल तक जिंदाबाद,
जननाद को न जाए दबाया।
सबको सबका अधिकार मिले,
जन से न कुछ जाए छिपाया।
शिक्षा और चिकित्सा सबकी,
सरकारों की हो जिम्मेदारी।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर,
न हो कोई सरकारी पहरेदारी।।
संविधान जन का ज्ञान बने,
कोई इसका न करे उलंघन।
निज स्वार्थ के वशीभूत हो,
न हो कोई इसमें परिवर्तन।
न हो कोई इसमें परिवर्तन,
जब तक हो न बहुत जरूरी।
मन का अपना मनोभाव त्याग,
करें सभी प्रस्तावना को पूरी।
सबका सबसे बड़ा धर्म यह,
न किसी की हो इससे दूरी ।
पचहत्तरवां गणतंत्र हमारा,
न रह जाए कोई मजबूरी।।
- हरी राम यादव, अयोध्या , उत्तर प्रदेश