गुलाब - सुनील गुप्ता

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गुलशन में खिले, हैं कई गुलाब

कोई लाल पीला सफ़ेद गुलाबी  !

महकाए चलें, ये मन की बगिया....,

हैं ये सारे दोस्त प्रिय करीबी !!1!!

हैं ये लाजवाब और खूबसूरत

महके इनसे सारा घर आँगन   !

समझ जो पाए इनकी सीरत....,

वो बना रहे सदैव ख़ुश प्रसन्न !!2!!

गुलाब सदा से मन को भाए

और भाए भीनी ख़ुशबू महक  !

ये साथी बनें हर उत्सव पर्व में......,

और साथ देते चलें अंत तक !!3!!

जीवन की हरेक सफलता में

ये स्वागत करते हैं बन हार  !

और दुःख के हरेक पलों में.....,

ये चले आते हैं सजके पग द्वार !!4!!

है इनका काँटों से रिश्ता पुराना

तभी ये खिले रह पाते दिनभर  !

और जिसने इनका दर्द है समझा....,

वही बना सच्चा मित्र यहांपर !!5!!

सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान