गोविंदा - मधु शुक्ला

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गोविंदा आये जगत ,

हर्षें साधु संत।

नन्द यशोदा के हृदय ,

वास करे भगवंत।।

मंगलमय वातावरण,

रहता आठों याम।

लीलाएं अद्भुत रचें,

कृष्ण और बलराम।।

गोकुल की सब गोपियाँ,

खेलें कान्हा संग।

विविध भाँति करते उन्हें,

नन्द लला जी तंग।।

भाग्यवान यशुदा बड़ीं,

गोदी खेले श्याम।

तरते इस संसार से,

जिनका लेकर नाम।।

 — मधु शुक्ला

सतना, मध्यप्रदेश .