ग़ज़ल ~ कविता बिष्ट 

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हमसे ही तो जमाना है,

नव वर्ष को कल आना है।

बहुत आशाएं है जीवन से,

सब कुछ तो हमें पाना है।

हम सबका साथ बना रहे,

रिश्ता प्यार का निभाना है।

मधुरता यूँ रहें जीवन में,

ख़ुशी का गीत गाना है।

शुभ कर्मों की तम्मना लिए,

कदम अपना बढ़ाना है।

सदभाव सौहार्द लेकर,

बुरे विचारों को तो जाना है।

'कविता' कहता है जमाना,

जीवन एक ताना बाना है।

~ कविता बिष्ट , देहरादून , उत्तराखंड