ग़ज़ल - शिप्रा सैनी

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भेड़िया भी देखिए हरकत में कितना गया।

आज के इंसान से भूला हुआ कुछ पा गया।

बेखबर भी सो नहीं सकते यहाँ शिशु, बेटियाँ।

इस कदर दहशत बड़ा तबके में उनका छा गया।

एक संदेशे की दूरी और मजमा लग गया।

बन के ताकत यह सितम ढाका पे देखें ढा गया।

फायदे ढेरों यहाँ इस यंत्र पे जन तंत्र के

बस यही नुकसान यह कुछ की समझ को खा गया।

क्या मिला किसको मिला है भान मंत्री को नहीं।

योजनाओं की पैरोडी बस सभा में गा गया।

रहे नेता नगर  में गई जब यह खबर।

फिर नगर का बदला हुलिया जो सभी को भा गया।

शिप्रा सैनी मौर्या., जमशेदपुर