गजल - ऋतु गुलाटी
Aug 22, 2023, 23:13 IST
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इश्क भी बन गया फलसफा आदमी,
रात दिन आज सहता है वो बेबसी।
जिंदगी आज घायल हुई है बड़ी,
जी रहा दर्द में झेलता बेबसी।
दोस्ती की कदर अब नही मानते,
हाय कैसे निभाये खरी दोस्ती।
आज चाहूँ तुम्हे बस दिलो-जान से,
हो वजह आज तुम बस मेरे प्यार की।
आ छुपा लूँ तुम्हें अपनी आगोश में,
अब जिये साथ मिलकर भली जिंदगी।
प्यार मे जब तड़फते रहे रात भर,
पर न समझे कभी यार की बँदगी।
बेवजह जी रहे थी हम बिना प्यार के,
जिंदगी की वजह एक है एक थी।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़