ग़ज़ल - सम्पदा ठाकुर
Mar 13, 2024, 22:35 IST
| कभी खुशियों का कोई नजारा नहीं,
यहां भटकते रहोगे किनारा नहीं ।
बात एक गौर से सुन लो सभी ,
कोई गलियों में अब सहारा नहीं ।
थी चाहत एक ऐसी जो चाह रहा ,
यहां आंखों का मतलब इशारा नहीं ।
भरोसा है क्या तुम कहीं छोड़ जाओ ,
मैं बहती जो जाऊं वो धारा नहीं ।
जिंदगी में भरोसा का मतलब है यार,
हमें तुम छोड़ दो यह गवारा नहीं ।
ज़मी और फ़लक उसके काबू में है ,
हमें कर दे जो रुसवा उतारा नहीं ।
दोस्तों मैं ये कहती सुनो आप सभी ,
जो हमारा नहीं वो तुम्हारा नहीं ।
- सम्पदा ठाकुर, मुंगेर, बिहार