गजल - ऋतु गुलाटी

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हाय तेरा अजी दिल समाना हुआ।

फूल खुशियों के अब तो लगाना हुआ।

बात करते रहे,यार तुम प्यार की।

तुम जफा कर गये, मैं वफा सा हुआ।

देखते देखते यार दिल मे बसे।

प्यार तेरा लगे अब वफा सा हुआ।

झुक गये आज हम तो तिरे पाँव मे।

बात दिल की तुम्हे अब बताना हुआ।

जिंदगी सज रही थी कही फूल सी।

साथ तेरा मिला बस सजाना हुआ।

राज क्या था,छुपा यार दिल मे मेरे।

हाय फिर क्यों ये अब तो खारा हुआ।

रम गये यार की बात में हम कही।

आज दिल अब हमारा तुम्हारा हुआ।

- ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली , पंजाब