गजल - ऋतु गुलाटी

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डरा सका न हमें तू जहाँ कमाल नही,

बने हैं काबिल जग में अजी दलाल नही।

मिले नसीब से हमको जुदा न होना तुम,

गमो को दूर करे दिल कुई मिसाल नही।

बुझे चराग हया के खफा हुऐ हमसे,

उन्ही के अब ये चराग़े हलाल नही।

भुला सकेगे न तुमको अजीज  मेरे,

कहाँ चले गये हो आज तुम गुलाल नही।

जुदा नही हो निगाहें दुआ करे *ऋतु अब,

बिखर  रही है ये साँसे बचे जमाल नही।

- ऋतु गुलाटी  ऋतंभरा, मोहाली , पंजाब