गजल - ऋतु गुलाटी
Apr 29, 2023, 19:02 IST
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बढा गम आज दिल मे,याद देती वो कहानी है,
हया मेरी बनी दुश्मन, न बरसा आँख पानी है।
मिली हमको जमाने से कभी तूफां कभी आँधी,
मगर सीखा नही झुकना,रखी भी सावधानी है।
मिले हो मन्नतों से ये इनायत रब तुम्हारी थी,
तुम्हे पाया,हकीकत मे,खुदा की महरबानी है।
लगे तुम खूबसूरत आज आँखे बन नशीली सी,
तुम्हारी जुल्फ के बादल से बरसा आज पानी है।
तुम्हारी जिंदगी की बेकरारी कुछ कहे हमसे,
जुदाई भी सही जाती नही,रोकर बितानी है।
ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली , पंजाब