ग़ज़ल - ऋतु गुलाटी
Mar 31, 2023, 22:04 IST
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मंजिलें हमको मिल गयी जब से,
रास्तें भी तभी दिखे जब से।
छोड़कर तुम गये कहाँ यारा,
दिल दुखेगा,हुऐ खफा जब से।
याद तेरी हमे सताती है,
दर्द मे डूबे रहे बता जब से।
राज दिल का छुपा लिया हमने,
हर कोई हो रहा खफा जब से,
दर्द देकर हमें थकाते हो,
तुम बने आज हमनवां जब से।
साथ तेरा हमे भी मिल जाऐ,
कर रहे हम दुआ खुदा जब से।
छू रहे आँसमा को पर मेरे,
ले लिया आज फैसला जब से।
अब नशा प्यार का चढ़ा मुझको,
यार मेरा अजी रुका जब से।
चैन *ऋतु को नही मिला अब तो।
प्यार ही बन गया दवा जब से।
ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली , पंजाब