गजल - ऋतु गुलाटी

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लोग कैसे है अब जमाने में,

वक्त  देते  गुजार  खाने में।

इश्क तेरा हमें लुभाता है,

क्या रखा है हमेँ जलाने में।

आज आँचल भरा है खुशियों से,

क्या ..रखा है   उसे छुपाने में।

दूर रहते हो आजकल हमसे,

लुत्फ आता है दिल जलाने से।

यार हमको पता बता देते।

क्यो लगे हो अजी भूलाने मे।

आइना भी हमें बताता है,

वक्त लगता है सच बताने में।

गीत गा ले जरा अकेले में,

अब मजा यार गुनगुनाने में।

जान बसती है यार की मुझमें,

आ मजा ले उसे निभाने में।

- ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली, चंडीगढ़