गजल - ऋतु गुलाटी
Wed, 22 Feb 2023
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मेरे साँवरे दिल में तुमको बिठाले,
है प्यासे नयन हाय दिल में बसाले।
हमें भूल कर तुम कहाँ अब चले हो,
कभी आ भी जाना चले जाने वाले।
अजी दर्द मेरा कहाँ जानते हो,
पडे पैर मे जब न तेरे भी छाले।
जमाने से हमको नही आज डरना,
किया हाथ मैने भी तेरे हवाले।
बुलाते हैं हमको नजर के इशारे,
कभी नाज नखरे हमारे उठाले।
- ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली, चंडीगढ़