ग़ज़ल - रीता गुलाटी

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आप बिन जिंदगी जिंदगी तो नही,

बिन तुम्हारे लगे अब खुशी तो नही।

प्यार मे चाह मेरी छुपी तो नही,

मर मिटी यार पर अब कमी तो नही।

जिंदगी अब हवाले तुम्हारे तो है,

मौत दे दे भले मै डरी तो नही।

नेकियाँ भी करो जग मे जीते हुऐ,

साँस लेना महज जिंदगी तो नही।

साज छेड़ा जो उसने बड़े दर्द से,

आज होठों पे उसके हँसी तो नही।

जो न करता भलांई कभी यार से,

जो दे धोखा सही आदमी तो नही।

हमको लगता भला सा भले अजनबी,

बात उसने कही  वो खरी तो नही।

वो सिखाता हमें तहजीबे-वफा,

खुद को भूला जुबां दोस्ती तो नही।

प्यार तुम क्यों जताते हमे इस कदर,

दूर  रहना कहो आशिकी तो नही।

रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़