ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Oct 28, 2024, 22:02 IST
| खुदा भीतर हमारे हैं, नही मिलते शिवाले भी,.
करो पूजा, अरे दिल से, हटेगे अब, अँधेरे भी।
तुम्हे चाहा है बडे दिल से, भुलाना अब लगे मुशकिल.
कहो कैसे भुला दूँगी, किये है आज वादे भी।
भरोसा रख सदा खुद पर, परेशा तुम नही होना,
करम करना तू मेहनत से बनेगे काम सारे भी।
बढो आगे सदा बिटिया, बसे तुम दिल मे मेरे भी.
हर इक हर बार पूरी हो तुम्हारी चाह आगे भी।
रखे श्रद्धा वो भगवन मे, करे पूजा बडे मन से.
लगाते है बडे चक्कर, वो उँचे और नीचे भी।
अजी लुटती भली जनता, नही समझे, इरादे भी.
बने नेता, औ खाते हक, कराते बस वो जलसे भी।
वो जीते हैं गरीबी मे बता सकते नही दिल की.
तडफते भूख से बच्चे, नही सोते बेचारे भी।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़