ग़ज़ल - रीता गुलाटी

 | 
pic

दर्द  मेरा बढ  गया बाहर निकालो यारो.

अब सुकूँ आये मेरे दिल को बचा लो यारो।

जब भी फुरसत याद कर लेना भले हमको.

याद मेरी जब सताये तो बुला लो यारो।

मानती हूँ क्या ही गुजरी  है बिना मेरे अब.

तडफता है दिल मेरा आकर समभालो यारो।

काटते फिरते  रहे हो आज पेडो को क्यो?

जिंदगी मुशकिल मे होगी अब बचा लो यारो।

आज तडफे बिन तुम्हारे दिल को कैसे समझे.

मिलने का कोई तरीका भी निकालो यारो।

दर्द कैसे दूर होगा,जख्म दिल पर जो खाये.

एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो।

रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़