ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Oct 1, 2024, 23:20 IST
| दर्द दिल मे भी तुम्ही ने तो जगाया होगा,
हाय कैसे ये, सहेगे ये छिपाया होगा।
दिल के जज्बात कही दिल मे छुपाया होगा.
याद आते हैं जिन्हे अपना बनाया होगा।
सादगी तेरी सुकूँ दिल को मेरे देती जब.
याद तेरी को मेरे दिल मे जगाया होगा।
इश्क मे दर्द सहा जिसने छिपाया होगा.
हाल गीतो मे लिखा आज सुनाया होगा।
खूबसूरत सा लगा ख्याब नजर मे उसको.
उसने ये गीत मुहोब्बत मे सुनाया होगा।
जुल्म सहती है वो चुपचाप रहे ना बोले.
आज कुछ सोच के दुनिया को बताया होगा।
नूर बरसा है मुहब्बत का, खुदा की रहमत.
ऋतु के दिल मे भी बडा प्यार जगाया होगा।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़