ग़ज़ल - रीता गुलाटी

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जब हुआ दीदार तो मौसम सुहाना हो गया.

गीत तुमने जो सुनाया, दिल तुम्हारा हो गया।

नींद मे खोया था ये दिल,अब किसी का हो गया.

हमने चाहा था न हो पर दिल किसी का हो गया।

प्यार आँखो मे बसा है, दूर रह पाऊँ नही.

रात दिन सोचे यही दिल आज तेरा हो गया।

पास होकर दूर कितना,फिर भी अपना सा लगे.

तुमने दिल अपना जो जोडा,वो फसाना हो गया।

भाँप लूँगी, वो इशारा यार करता जो बडा,

आँख मे यारा बसा तू आज प्यारा हो गया।

छा गयी काली घटा नभ डूबता अँधकर मे.

चाँद कैसे अब दिखे, आकाश काला हो गया।

हाय देखे हम बिछौना आज इक मजदूर का.

सिर के नीचे हाथ रखते, वो बिछौना हो गया।

-  रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़