ग़ज़ल - रीता गुलाटी

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आंखो मे वो छुपाये जज्बात  आज दिल के,

करके हजार टुकड़े दिल के वो जा रहा है।

आंखों  मे देख शोखी वो मुस्कुरा रहा है,

देखा  है एक सपना दिल मे सजा रहा है।

छोडो पुरानी बातें  सोचे नया नया सा‌,

भोगा है दर्द कितना उसको भुला रहा है।

करते जो बेवफाई  वो बात क्या कहेंगे,

गुजरा है दर्द कितना उसको बता रहा है।

कैसे बितायी राते, गुजरी जो मुफलिसी मे,

ऐसे मे दर्द दिल का घटता मिटा रहा है।

हमने बिताये कैसे लम्हात दुख भरे जो,

पाये निजात दुख से रब आसरा रहा है।

तेरे बिना अकेले तन्हा से जी रहे अब,

सोचो जरा पिया तुम हालात क्या रहा है।

- रीता गुलाटी  ऋतंभरा, चंडीगढ़