ग़ज़ल - रीता गुलाटी

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चलो अब गीत खुशियो के सजन मिलकर सुनाते हैं,

तराने  प्रेम के अब तो लबों पर आ गुनगुनाते हैं।

झुका ली आपने नजरे, सिला अचछा नही लगता.

चले आओ सनम मेरे, नजर से क्यो गिराते हैं।

दुआ मांगे खुदा से हम, जुदा होना नही मुझसे,

न रह पाऊ बिना तेरे मुझे क्यो अब सताते हैं।

नशा सा अब हुआ हमको रहूं कैसे बिना तेरे.

नजर का जाम तुम मुझको यू़ं आंखो से पिलाते है।.

घुली वो प्यार की खुशबू,लगे प्यारी हमे कितनी,

चलो मिलकर फि़जाओ मे वो खुशबू घोल आते हैं।

भला समझे बुरा समझे,नही हमको समझ आया.

ये कैसा वक्त अब आया,कहां रिश्ते निभाते हैं।

बसे दिल मे सजन मेरे,मेरी सांसो मे तुम ही हो.

तुम्हे हम चाहते कितना,नजर से अब रिझाते हैं।.

- रीता गुलाटी  ऋतंभरा, चंडीगढ़