ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Jul 21, 2024, 22:07 IST
| दर्द सहकर हमें हँसाएं हैं,
राज दिल का बड़ा छिपाएं हैं।
पास रहकर हमे वो भूला था,
प्रेम अमृत समझ चटाएं हैं।
हम वफा आपसे ही कर बैठे,
बेवफा बन हमें रूलाएं हैं।
पास आकर निगाह है फेरे,
बेरूखी अब हम सताएं हैं।
यार माँगे दुआ खुदा से अब,
प्यार तेरा हमे लुभाएं है।
इश्क तेरा बुला रहा हमको,
प्यार देकर हमें रिझाएं हैं।
पास रहकर भी दूर बैठे थे,
क्या मुहोब्बत मे चोट खाएं हैं।
दूर कैसे भला चले जाएँ,
आप दिल में हमारे रहते हैं।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़