ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Jun 19, 2024, 22:45 IST
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लिखा लिया है लबो पे हमने,ये नाम बता भी देना,
उडे न रंगत,कभी लबो से, लबो को उनके हँसा भी देना।
बिना तुम्हारे न जी सकेगे रहोगे कैसे बिना हमारे,
बसे हो दिल मे चनाब जैसे,तडफ रहे आसरा भी देना।
बनूँ मैं सूरज, उजाला बाँटू,,गरीब बस्ती मे आज जाकर,.
उदास चेहरो को दिल से यारा कि आज मिलकर,दुआ भी देना।
दबे हुऐ हैं जो मुफलिसी मे, डरे डरे से वो जी रहे हैं,
कलम से अपनी उगा के सूरज नया सवेरा दिखा भी देना।
जो नफरतो से भरे पडे हैं,सुकून दिल का भुला चुके हैं,
शमा जो दिल की बुझा बैठे प्यार दिल मे जगा भी देना।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़