ग़ज़ल - रीता गुलाटी 

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खुशी से नाचता ये दिल सजन को रिझाएगा‌,

नशे मे डूबता हुआ ये जाम को  पिलाएगा।

हमे न जाओ छोड़कर  पिया रहे न तुम बिना‌,

तुम्हारे  बिन जिये  नही हमे मजा न आएगा‌‌।

पनाह मे तेरे खड़े हुऐ झुका के अपना माथ भी,

सजदा हम करे खुदा,तू बरकते भी लायेगा‌।

चढ़ा खुमार आज तो जो बोलता है सर चढ़ा‌,

चले गये जो छोड़कर  बड़ा  हमे रूलाएगा‌।

लिखी है शायरी बड़ी, सुनो जरा ए हमसफर,

हमारे प्यार की गजल जमाना गुनगुनाएगा‌।

- रीता गुलाटी  ऋतंभरा, चंडीगढ़