ग़ज़ल - रीता गुलाटी

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डूबे दु:ख से बाहर लाकर मानेगे,

दे खुशियाँ हर हाल बसाकर मानेगे।

खोये  जो याद मे, जगा कर मानेगे,

देगे खुशियाँ  सभी  बता कर मानेगे।

करते हैं प्यार तुमसे,समझो जरा तुम,

चाहत का अहसास करा कर मानेगे।

दूर हो भले हमसे रहना सदा पास मेरे,

तुमको दिल मे अपने बेठा कर मानेगे।

सपनो मे आज खोये देखे अक्स भी,

सच यार  दीवाना बना कर मानेगे।

उगी हुई है जो खार दिलो मे कब से,

हम सहरा मे फूल खिला कर मानेगे।

- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़