ग़ज़ल - रीता गुलाटी
May 23, 2024, 22:43 IST
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प्यार तुमसे आज क्यो सोचा नही,
यार सजदा आज तो मँहगा नही।
बीच राहों मे खड़े कब से हैं हम,
दिल मे उठता है कोई तूफां नही।
दर्द मे क्यो आज हम जी रहे,
सोचते कोई सजा लम्हा नही।
सह रहे थे यार तुम गम को बड़ा,
प्यार का दीपक कभी महका नही।
हो गये खामोश लब बिन बात के,
यार तुम चहका करो रोना नही।
✍️ रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़