गजल - रीता गुलाटी
Feb 28, 2024, 12:00 IST
| जमाने में तुम्ही से सब खुशी की,
कहाँ अब प्यार मे तेरे कमी की।
अजी फैली दिलो में बेबसी है,
करो तुम कद्र बस इस जिन्दगी की।
अजी तुमसे इनायत कर रही हूँ,
जरूरत आ पड़ी है दिल्लगी की।
हदें देखो जमाना पार करता,
जरूरत है हमें अब सादगी की।
हजारो मर रहें हैं मुफलिसी में।
जरूरत मौत को है जिंदगी की।
- रीता गुलाटी ऋतभरा, चंडीगढ़