ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Feb 9, 2024, 23:48 IST
| साथ तेरा सदा निभा देगें,
घर तेरा पिया बसा देगें।
क्यो चुराया है यार दिल तूने,
प्यार करना तुम्हे सिखा देगे।
छोड़ कर तुम कहाँ चले आये,
वो तुमको खाक मे मिला देगे।
कर रहा हूँ मैं अर्ज-ए-उल्फत,
ख्याब आँखो में हम बसा देगे।
आ तू बन जा चरागे-ए- राहें,
रोशनी हम सदा लुटा देगे।।
हो गयी आज मुंतज़िर तेरी,
यार बन कर मशविरा देगे।
फैसला यार तुम सुनो मेरा,
इक घरौंदा कभी बना देगें।
रात पूनम की आज ही आयी,
चाँद नभ मे नया खिला देगें।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़