ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Nov 19, 2023, 23:04 IST
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चाँदनी खिड़कियों से आई है,
आज चाहत हमें सताई है।
क्या कमी थी मेरे बुलाने मे,
आज की तुमनें बेवफाई है।
दर्द तेरा सहा नही जाता,
याद तेरी बड़ी भुलाई है।
छोड़ कर आज तुम नही जाना,
दर्द में आँखे भी डबडबाई है।
हो गये *ऋतु बड़े दिवाने है,
लुत्फ़ आता कहां छिपाई है।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़