गजल - रीता गुलाटी

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मुहब्बत बतानी तो होगी,

उदासी मिटानी तो होगी।

जवानी दिवानी तो होगी,

सुनानी कहानी तो होगी।

यूँ हँसती हुई तुम चलोगी,

खनक पायलो की तो होगी।

खड़े हैं तुम्हारी पनांह  मे,

मुहब्बत बढानी तो होगी।

मिली है खबर आज तेरी,

मिलोगे खुशी अब तो होगी।

खिला आज आँगन हमारा,

मिली आज खुशियाँ तो होगी।

चले छोड़ हमको कहाँ पर,

कसम कोई टूटी तो होगी।

- रीता गुलाटी ऋतंभरा,चण्डीगढ़