ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Oct 18, 2023, 23:34 IST
| प्रेम आँखों मे बसाना सीख लें,
दर्द को भीतर दबाना सीख ले।
आ जरा कर ले पिया दीदार तू,
प्यार से हमको रिझाना सीख ले।
बात तेरी शहद सी मीठी लगे,
यार हमको तू लुभाना सीख ले।
दिल को भाती आज नीली आँख भी,
अब नशे को तू पिलाना सीख ले।
याद मे रोती हैं आँखें आज भी,
आशिकी को अब छिपाना सीख ले।
भूल जा तू अब अजीयत यार की,
दर्द मे तू मुस्कुराना सीख ले।
भर दिये आँखों मे आँसू यार ने,
खुद से खुद का गम भुलाना सीख ले।
खुद अकेली जी रही थी कब से *ऋतु,
दर्द अपना अब छुपाना सीख ले।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़