गजल - रीता गुलाटी
Aug 19, 2023, 23:13 IST
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मुश्किलों के सामने सर कब झुकाते हैं,
रस्में उल्फत जाम सबको हम पिलाते है।
इश्क का इजहार करना यार बाकी है,
रूठ जाये तो उसे झुक कर मनाते है।
बैठता है दिल हमारा,तुम अकेले हो,
कब मिलेगें यार हम तुम,अब छुपाते हैं।
माँगते क्या आज उनसे चाँदी या सोना,
बात कर लो अब खुशी से हम बताते हैं।
बैठता है दिल हमारा,तुम अकेले हो,
कब मिलेगें यार तुमसे,जग छुपाते हैं।
छोड़ दे हम रस्में दुनिया की हवाओं को,
शाख से टूटे हुऐ को हम बचाते हैं।
आ चले भूले जगत की कायनातो को,
सोच ले*ऋतु क्यो किसी को हम सताते हैं।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़