गजल - रीता गुलाटी

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साथ तेरा अब हमारा हो गया,

खूबसूरत सब नजारा हो गया।

जिंदगी मे अब सहे गम भी बड़े,

दर्द का रिश्ता भी प्यारा हो गया।

नाज सब है अब उठातें यार के,

अब लगे हमको दुलारा हो गया।

मन परिंदा सा बना ये उड़ रहा,

ढूँढता जग घर भी बिखरा हो गया।

जिंदगी क्यो अब सलीका मानती।

हमसफर अब तो सितारा हो गया।

यार तू तो आज सच्चा कब हुआ।

आइना भी आज झूठा हो गया।

- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़