गजल - रीता गुलाटी

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अमीर लोग जिये जा रहे उजालों में,

गरीब ढूँढ रहा सुख,अजी निवालों में

बहुत नमी सी दिखी आँख मे अजी हमको,

मिला है दर्द बड़ा यार की भी चालों में।

हुआ भी क्या अजी ऐसा घिरे दुखों मे हम,

उलझ गया है वो फिर से उन्ही सवालों में।

 घिरे हैं दर्द के बादल दिखा नही सकते,

नजर तलाश करे यार को शिवालों में।

भटक रहा था ये दिल हाय गम की गलियों मे,

बना रही थी छवि यार के ख्यालों में।

- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़