ग़ज़ल - पूर्णिमा जायसवाल

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सोच मत ऐसा, तेरे हिस्से में बस गम आएगा,

हार है तो जीत का भी एक परचम आएगा।

है घुटन चारों दिशाओं में उदासी है तो क्या?

दिल लगाने के लिए भी एक मौसम आएगा।

चोट दी है दोस्तों ने और निभाई दोस्ती,

अजनबी लेकर कोइ हाथों में मरहम आएगा।

शोर इतना है कि खुद को भी न सुन पाते यहां,

क्या करेगा वो यहां जो ले के सरगम आएगा।

ढूंढने निकला है पानी आदमी की जात में,

शाम जब लौटेगा घर आंखें लिए नम आएगा।

अब दुआओं और दवाओं का असर हम पर नहीं,

तेरे आने पर 'अदा' हमको यहां दम आएगा।

- पूर्णिमा जायसवाल अदा, जोधपुर, राजस्थान