गजल - मधु शुक्ला
Jun 10, 2024, 22:20 IST
| जिंदगी उनकी अमानत हो गई,
इस तरह खुद ही इबादत हो गई।
दीप जब विश्वास का जगमग हुआ,
हर्ष की कुछ खास रहमत हो गई।
प्रीति का रक्षा कवच जब से मिला,
कामनाओं की हिफाजत हो गई,
बाग मन का है सुवासित आजकल,
भाव में मधुमास बरकत हो गई।
प्राप्त अपनापन हुआ जब प्रेम से ,
एक हासिल 'मधु' हमें छत हो गई।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश