गजल - मधु शुक्ला

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प्रकृति को मनुज का सहारा बनाया,

उसी हेतु संसार सारा बनाया।

दिया ज्ञान जिससे करे व्यक्ति उन्नति,

मगर ज्ञान ही ने नकारा बनाया ।

मनुज प्रेम सीखा हृदय प्राप्त कर के,

इसी प्रेम ने मन बिचारा बनाया।

हमेशा किया ईश सबकी भलाई,

न हमने उसे पर दुलारा बनाया।

झुका शीश उसका करें शुक्रिया हम,

हमें वह धरा का सितारा बनाया।

— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश