गजल - मधु शुक्ला
Feb 22, 2024, 23:03 IST
| यही आदमी की कहानी रही,
अधूरी मुहब्बत निशानी रही।
मिला जो नजर ने न देखा उसे,
कमी जो रही वह बतानी रही।
नयन को भिगो कह दिया बेवफा,
मुहब्बत नहीं जब निभानी रही।
नहीं रूह की बात सुनना उसे,
हँसी इसलिए आसमानी रही।
कहे मधु न जीवन दुबारा मिले,
मगर आँख दौलत दिवानी रही।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश