गजल - मधु शुक्ला
Jul 21, 2023, 23:31 IST
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जाहिर न की मुहब्बत मुकरते चले गए,
आँसू करे बगावत उभरते चले गए।
करते न शोर इंसा भलाई करें अगर,
उपकार कर जहन में उतरते चले गए।
होता न यदि भरोसा धड़कता न दिल कभी,
सच झूठ के भँवर से उबरते चले गए।
दिल दे अगर गवाही उसे टालना नहीं,
हम बात मान दिल की सुधरते चले गए।
'मधु' प्रेम जिंदगी में दुवारा न लौटता,
हर भूल मीत की हम बिसरते चले गए।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश