गजल  - मधु शुक्ला

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क्रोध की अग्नि में प्रेम जल जायगा,

रेशमी डोर का छोर गल जायगा ।

भावनायें किसी की न आहत करो,

आह की धुंध में चैन छल जायगा ।

नाम धन का भरोसा न करना कभी,

वक्त के साथ यश सूर्य ढल जायगा।

शुभ समय जब पधारे उसे मान दो,

बेरुखी से मिला वक्त टल जायगा ।

मौन रहकर सहो 'मधु' सदा दर्द को,

धैर्य के जोर से युग बदल जायगा।

— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश