गजल - मधु शुक्ला
Sun, 30 Apr 2023
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हर एक है दिवाना संसार में खुशी का,
दर खोजते रहें सब हर वक्त मनचली का ।
अपना हृदय टटोलें ईमान से अगर हम,
अस्तित्व मिट सकेगा संसार से बदी का ।
आदत बहुत पुरानी इंसान की रही है,
वह फायदा उठाये हर वक्त दोस्ती का।
चालक खुशी बदी का होता दिमाग जग में,
होता नहीं प्रशंसक हर व्यक्ति रोशनी का ।
क्यों आँख चार करते हैं आप दुश्मनी से,
लूटा सदैव इसने 'मधु' चैन जिंदगी का।
--- मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश