ग़ज़ल - कविता बिष्ट

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आरज़ूएं हज़ार रखते है,

दिल को गुलज़ार रखते है।

मुश्किल राह को हटाकर,

ख़ुशियों का अंबार रखते है।

इश्क़ में ए-सनम हम तुमसें,

बहुत खूब एतबार रखते है।

वेवफ़ा कहता है ज़माना हमें,

फिर भी वफ़ा हज़ार रखते है।

दिखातें नहीं कभी सनम को,

आँखों में बेहद प्यार रखते है।

हारी बाज़ी को जीत कर,

चाह हम बेशुमार रखते है।

~ कविता बिष्ट , देहरादून , उत्तराखंड