गज़ल़ - ज्योति श्रीवास्तव

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अजब सी दिल में कशिश प्यार में हुआ होगा,

तभी  तो रंग  मुहोब्बत  का भी  चढ़ा होगा।

जो धड़कनों  में  असर  इस कदर रहा होगा,

छुपा के  नाम हथेली पे  लिख चुम्मा होगा।

वो चांदनी को चमकते फलक़ पे देखा हो,

तो याद  करके   मुझे आह भी भरा होगा।

जहाँ ने मुझको  सदा नासमझ ही बोला हैं,

ये  बात  सब  ने तुझे हर दफ़ा कहा होगा।

उसे जहांँ ने  दिया *ज्योटी* दर्दे जी भर के,

सभी के साथ को अपना समझ भुला होगा.। .

- ज्योति अरुण श्रीवास्तव, नोएडा, उत्तर प्रदेश  .