ग़ज़ल हिंदी - जसवीर सिंह हलधर

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हिन्दू मुस्लिम एक बना दो ,बात हमारी मानो मौला ।

मंदिर मस्ज़िद को मिलवा दो ,बात हमारी मानो मौला ।

यदि ऐसा ना हो पाया तो ,देश विभाजन पक्का मानो ,

टोपी पगली साथ बिठा दो ,बात हमारी मानो मौला ।

अरबी और फ़ारसी लिपि से ,उर्दू को बाहर ले आओ ,

देव नागरी में लिखवा दो ,बात हमारी मानो मौला ।

हिंदी उर्दू दोनों बहनें ,कविता ग़ज़ल सहेली पक्की ,

एक मंच से ही पढ़वा दो ,बात हमारी मानो मौला ।

जो भी पाक कसीदे गाये ,मंचों पर वो चढ़ ना पाये ,

ऐसे जालिम दूर भगा दो ,बात हमारी मानो मौला ।

सर्व धर्म सम भाव देश में ,सबके अंतर्मन बस जाये,

आतंकी को कड़ी सजा दो ,बात हमारी मानो मौला ।

संविधान ही गीता "हलधर",राष्ट्र गान ही वेद ऋचायें ,

वंदेमातरम साथ गवा दो ,बात हमारी मानो मौला ।

 - जसवीर सिंह हलधर, देहरादून