ग़ज़ल हिंदी - जसवीर सिंह हलधर
चरना भी आसान नहीं जबड़े ज़ख्मी हो जाते हैं,
हरी घास के लालच में बछड़े ज़ख्मी हो जाते हैं ।
कैसे भार सत्य का तोलें कैसे जानें सच्चाई ,
बाट झूठ के रखने पर पलड़े ज़ख्मी हो जाते हैं ।
बोझ उठाना मजबूरी है शौक नहीं मानो यारो ,
मार वक्त की पड़ने पर तगड़े ज़ख्मी हो जाते हैं ।
सब के साथ बैठना लेकिन युद्ध समय में ध्यान रखो ,
दुर्वल सेना के नायक अगड़े ज़ख्मी हो जाते हैं ।
गांव , नगर में ऊंच नीच के किस्से बहुत सुने होंगे ,
हक की बात उठाने पर पिछड़े ज़ख्मी हो जाते हैं ।
तंग गली होती गांवों की वाहन बड़े नहीं लाना ,
भारी वाहन पहियों से दगड़े ज़ख्मी हो जाते हैं ।
पौधे गुलशन के हिलते हैं जब आंधी तूफानों में ,
कांटों से भिड़ कलियों के मुखड़े ज़ख्मी हो जाते हैं ।
सत्य अहिंसा परम धर्म है ऋषियों , मुनियों ने माना ,
शांति दूत के सम्मुख सब झगड़े ज़ख्मी हो जाते हैं ।
सुख समृद्धि पीछे चलतीं यदि कुनबे में एका हो ,
अच्छे कर्मों से "हलधर" दुखड़े ज़ख्मी हो जाते हैं ।
-जसवीर सिंह हलधर , देहरादून