ग़ज़ल हिंदी - जसवीर  सिंह हलधर

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बदनाम हो न जाएं रक्खी ज़ुबां दबा के ।

रोती हैं बेटियां अब किस्से बता बता के ।

नजरें झुकी हुई हैं भारत महान की अब ,

शैतान हँस रहा है अस्मत चवा चवा के ।

कुश्ती में ख़ास जलवे पैदा किए जिन्होंने ,

मजबूर दिख रहीं वो इज्जत बनी गंवा के ।

सोया हुआ था अब वो तूफ़ान उठ गया है ,

दिल्ली बनी अखाड़ा होने लगे धमाके ।

सरकार का नशा है अध्यक्ष संघ को भी ,

बेशर्म प्रश्न करता उंगली दिखा दिखा के ।

बरवाद हो न जाए कुश्ती का कारखाना ,

सहती रहीं सितम वो मैडल करीब पा के ।

बेटी बचाओ नारा क्या गौण हो गया है ,

मोदी जवाब दे दे अध्यक्ष को हटा के ।

अंगार पल रहे हैं ये राख मत कुरेदो ,

"हलधर" ग़ज़ल कही है शोले गला गला के ।

- जसवीर  सिंह हलधर, देहरादून