ग़ज़ल हिंदी - जसवीर सिंह हलधर
Mon, 8 May 2023
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बदनाम हो न जाएं रक्खी ज़ुबां दबा के ।
रोती हैं बेटियां अब किस्से बता बता के ।
नजरें झुकी हुई हैं भारत महान की अब ,
शैतान हँस रहा है अस्मत चवा चवा के ।
कुश्ती में ख़ास जलवे पैदा किए जिन्होंने ,
मजबूर दिख रहीं वो इज्जत बनी गंवा के ।
सोया हुआ था अब वो तूफ़ान उठ गया है ,
दिल्ली बनी अखाड़ा होने लगे धमाके ।
सरकार का नशा है अध्यक्ष संघ को भी ,
बेशर्म प्रश्न करता उंगली दिखा दिखा के ।
बरवाद हो न जाए कुश्ती का कारखाना ,
सहती रहीं सितम वो मैडल करीब पा के ।
बेटी बचाओ नारा क्या गौण हो गया है ,
मोदी जवाब दे दे अध्यक्ष को हटा के ।
अंगार पल रहे हैं ये राख मत कुरेदो ,
"हलधर" ग़ज़ल कही है शोले गला गला के ।
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून